सुप्रसिद्ध नराओं सूर्यमंदिर पोकर पर छठवर्तियों ने पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। पूर्वोत्तर राज्यों के प्रसिद्ध त्योहार छठ व्रत प्राचीन काल से मनाया जाता है। चार दिन तकं चलने इस पर्व काफी पवित्रता और नियम से मनाया जाता है। सच्चे मानने व्रत करने पर मनचाहा वरदान मिलता है। इस त्योहार को लेकर बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी श्रद्धा पूर्वक मानते है।
व्रत के पहले दिन नहाय खाय का त्योहार होता है, जिसमें स्नान कर प्रसाद बनाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। दूसरे दिन शाम को खीर और रोटी बनाकर फल के साथ खरना किया जाता है। इसके बाद निर्जला रहा जाता है। तीसरे दिन शाम को भगवान सूर्य को डूबते समय अर्घ्य दिया जाता है। जिसका प्रसिद्ध पकवान ठेकुआ, फल और इनका के साथ अर्घ्य दिया जाता है। विश्व का पहला त्योहार जो हमे संदेश देता है की हमें उगते की पूजा के साथ साथ डूबते की भी पूजा करनी चाहिए। चौथे दिन सुबह सप्तमी के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में छठ व्रतियों को निर्जला रहना पड़ता है।
हर साल की भांति इस वर्ष भी हर जगह छठ पर्व काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। समूचे सारण में भक्ति मय माहौल बन गया है। चारों तरफ छठी मईया की गीत गुंजायमान है। इस व्रत को लेकर छठ घाटों की सफाई की गई तथा विभिन्न प्रकार से सजावट किया गया है। छठ घाट की रौनक देखते बन रही है। आज तीसरे दिन विभिन्न घाटों पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया।। कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिनों तक चलने वालें पर्व का समापन किया जाएगा।
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